अजमेर का चौहान वंश: शाकंभरी से अजयमेरु तक, विग्रहराज चतुर्थ से पृथ्वीराज चौहान तृतीय तक

अजमेर का चौहान वंश

अजयराज चौहान (1105–1130ई.)

इनके पिता पृथ्वीराज चौहान प्रथम थे। अजयराज चौहान ने सांभर से आकर बिठली पहाड़ी पर गढ़ बिठली दुर्ग का निर्माण करवाया तथा सन् 1113 में अजमेर नगर की स्थापना की। प्रारंभ में अजमेर का नाम अजयमेरू था। जो समय के साथ परिवर्तन होकर अजमेर हो गया।
  • अजयराज चौहान ने चौहान वंश की राजधानी अजमेर को बनाई।
  • अजयराज चौहान ने अपने शासनकाल में निम्न सिक्के चलाए– 1. चांदी के सिक्के का नाम – अजयदेव
  •            2. तांबे के सिक्के का नाम – श्री अजय प्रिय द्रमस
  • नोट:– अजयराज चौहान ने इन सिक्कों पर अपनी प्रिय रानी सोमलेखा/ सोमवती का नाम अंकित करवाया।
  • अजयराज चौहान ने नागौर के तुर्को को पराजित किया। अजयराज ने मालवा के नरवर्मा को पराजित किया। अजयराज चौहान शैव धर्म के उपासक थे।
  • नोट:– गोपीनाथ शर्मा ने अजयराज चौहान के शासनकाल को चौहान वंश का निर्माणकाल कहा है।
  • अजयराज चौहान ने जैन धर्म के दो म श्वैताम्बर व दिगम्बर के मध्य शास्त्रार्थ करवाया तथा इसकी अध्यक्षता अजयराज ने की।

अर्णोराज / आन्नाजी – (1130–1155)

  • इनका राज्याभिषेक 1133 ई. में हुआ। अर्णोराज के पिता अजयराज चौहान थे। इनके दरबार में जैनधर्म के दो विद्वान धर्मघोष व देवबोध थे।
  • तुर्को के रक्त को साफ करने के लिए इन्होने अजमेर में 1137 ई. में चंद्रा नदी के पानी को रोककर आनासागर झील का निर्माण करवाया।  और पढ़ें

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जगदेव चौहान – (1155–58)

  • इन्होंने अपने पिता अर्णोराज चौहान की हत्या की। इन चौहान वंश का पितृहन्ता कहा जाता हैं।
  • 1158 में भाई बीसलदेव चौहान ने जगदेव चौहान को पराजित कर अजमेर के राजा बने।
  • जगदेव चौहान का पुत्र पृथ्वीराज द्वितीय था।

बीसलदेव चौहान/ विग्रहराज चतुर्थ – (1158–63)

  • 1158 ई. बीसलदेव चौहान ने अपने भाई जगदेव चौहान को पराजित कर अजमेर पर अधिकार कर लिया।
  • इन्होंने कुमारपाल से पुनः नागौर, पाली, जालौर को विजित किया।
  • कुमारपाल के सामंत सज्जन जो चितौड़ पर शासन कर रहा था उसे पराजित कर चितौड़ को अपने सम्राज्य में मिलाया।
  • विग्रह राज चतुर्थ चौहान वंश के प्रथम राजा जिन्होंने दिल्ली के तोमर वंश के राजा तंवर को पराजित कर दिल्ली को अपने सम्राज्य में मिलाया।
  • बीसलदेव चौहान को “ कविबांधव ” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह कवियों तथा विद्वानों के आश्रयदाता थे।
  • बीसलदेव चौहान को कविबांधव जयानक कृत पृथ्वीराज विजय में कहा गया है।
  • बीसलदेव चौहान स्वयं एक विद्वान थे इन्होंने “ हरिकेली नाट्य ” की रचना की।
  • दशरथ शर्मा ने बीसलदेव चौहान के शासनकाल को चौहान वंश का स्वर्णकाल कहा है।

बीसलदेव चौहान के दरबार में निम्न विद्वान थे –

  • 1. सोमदेव – ललित विग्रहराज (ग्रन्थ)
  • 2. नरपति नाल्ह – बीसलदेव रासौ (ग्रन्थ)

बीसलदेव के दो पुत्र थे –

  •  नागार्जुन
  •  अपरगराय

अपरगराय / अपरगाग्य – (1163–65)

  • जगदेव चौहान के पुत्र पृथ्वीराज द्वितीय ने अपरगराय को पराजित कर अजमेर पर अधिकार किया।

पृथ्वीराज द्वितीय – (1165–69)

  • पृथ्वीराज द्वितीय की मृत्यु 1169 ई. में हुई।
  • अजमेर के मंत्रियों ने अर्णोराज के पुत्र सोमेश्वर को अहिलवाड़ा से अजमेर बुलाया।

सोमेश्वर चौहान – (1169–77)

  • पिता – अर्णोराज चौहान
  • माता – कंचन दे
  • उपाधि – प्रतापलंकेश्वर
  • पालन पोषण – अहिलवाडा (गुजरात)
  • पृथ्वीराज द्वितीय की मृत्यु के पश्चात अर्णोराज के पुत्र सोमेश्वर चौहान को उत्तराधिकारी के रूप में अहिलवाड़ा से अजमेर बुलाया।
  • सोमेश्वर के समकालीन आबू का राजा जैत्रसिंह / सलाखा थे

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