चौहान वंश का इतिहास।चौहान वंश की उत्पत्ति

                       ।। चौहान वंश।।

चौहान वंश का मूल नाम या मूल शब्द चाहमान है। जिस शब्द का अर्थ इस प्रकार से नीचे बताया गया है –

मूल नाम:–  चाहमान 

               => चा – चाप –धनुर्विद्या / शास्त्रों में निपुण राजा।

               => ह – हरि – वह राजा जो ईश्वर में विश्वास रखें।

               => मा – मान – वह राजा जो अतिथियों / शरणार्थी को शरण देता है।

               => न – नीति – वह शासक जो नीतियां व योजना का सिद्धान्त बनाकर शासन करें।

चौहान वंश


चौहान / चाहमान शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम पृथ्वीराज विजय ग्रंथ में मिलता है , जो जयानक द्वारा लिखा गया है।

तो आइए अब जानते हैं की विद्वानों के अनुसार चौहान वंश की उत्पति किसके बताई गई हैं और कितने प्रकार से बताई गई हैं।

विद्वानों के अनुसार चौहान वंश की उत्पति दो प्रकार से बताई गई है पहला तो अग्निकुंड का मत है तथा दूसरा सूर्यवंशी का मत व तीसरा मत विदेशियों का है।

1. चौहान वंश की उत्पत्ति अग्निकुंड से  – चंद्रबरदाई , मुहणोत  नैणसी , सूर्यमल्ल मिश्रण

2. चौहान वंश की उत्पत्ति सूर्यवंशी से – जयानक , गोरी शंकर ओझा ,  नरपति नाल्ह , जोधराज 

3.चौहान वंश की उत्पत्ति विदेशियों से – कर्नल जेम्स टॉड , विलियम्स कुर्क , स्मिथ 

ऊपर आपने जाना की चौहान वंश की उत्पति तीन प्रकार से बताई गई है। विद्वानों में आपस में मतभेद है इसलिए हम पूर्णत नही बता सकते हैं कि चौहान वंश की उत्पति किससे हुई। 

अब हम आपको शिलालेख के अनुसार चौहान वंश की उत्पति बताते है। 

1. बिजौलिया शिलालेख :– बिजौलया शिलालेख 1169/70  ई के अनुसार चौहान वंश की   उत्पति ब्राह्मणों के वत्स गोत्र से बताई गई हैं।

2. सुंधा माता शिलालेख :– सुंधा माता शिलालेख जालौर 1262 ई के के अनुसार चौहान वंश की उत्पति गुरु वशिष्ठ मुनि के आखों से हुई है।

अग्निकुण्ड मत मुहणोत  नैणसी के अनुसार चौहान वंश की उत्पति वशिष्ठ मुनि के द्वारा आबू पर्वत पर किए गए यज्ञ से बताई गई। आबू पर्वत पर किए गए यज्ञ में निम्न वंशो की उत्पति हुई है – गुर्जर प्रतिहार , चालुक्य / सोलंकी , परमार , चौहान।  

चौहान वंश का संस्थापक –  वासुदेव चौहान ने 551 ई. के आस–पास सांभर झील के चारों तरफ अधिकार कर चौहान राजवंश की नीव रखी है 

ऐसा माना जाता है कि सांभर झील के आस पास वासुदेव चौहान ने सवा लाख गांव पर अधिकार कर चौहान वंश की स्थापना की।

  • वासुदेव चौहान को चौहान वंश का संस्थापक / मूलपुरुष / आदिपुरुष भी कहा गया है।
  • बिजौलिया शिलालेख के अनुसार वासुदेव चौहान ने सांभर में सांभर झील का निर्माण करवाया।
  • चौहान वंश की प्रारंभिक सांभर के चौहान राजधानी अहिछत्रपुर (नागौर) थी 

चौहान वंश की शाखाएं :– 

         1. सांभर के चौहान – वासुदेव चौहान

         2. नाडोल के चौहान – लक्ष्मण चौहान

         3. अजमेर के चौहान – अजयराज चौहान

         4. रणथंभौर के चौहान – गोविंद राज चौहान 

         5. जालौर (सोनगरा) के चौहान – कीर्तिपाल चौहान 

         6. बूंदी के चौहान – देवा चौहान

         7. सिरोही के चौहान – लुम्बा चौहान 

ऊपर चौहान वंश की की सात शाखाओं का उल्लेख किया गया है।

  • चौहान वंश की कुलदेवी :– शाकम्भरी माता 
  • चौहान वंश के आराध्य देव :– हर्षनाथ 

हर्षनाथ मन्दिर के निर्माण का कार्य गुवक प्रथम ने करवाया लेकिन इस मंदिर का निर्माण का कार्य पूर्ण सिंहराज ने करवाया।

चौहान वंश से संबंधित ग्रंथ या चौहान वंश के काल में लिखे गए ग्रंथ निम्न है –

  1. पृथ्वीराज रासौ– चंद्रबरदाई
  2. पृथ्वीराज विजय – जयानक 
  3. बिसलदेव रासौ – नरपति नाल्ह 
  4. हम्मीर रासौ – जोधराज
  5. हम्मीर महाकाव्य – नयनचंद्र सूरी
  6. हम्मीर हठ – चंद्रशेखर
  7. हम्मीर बंधन – अमृत कैलाश
  8. हम्मीर नारायण – व्यास जी भांडू
  9. हम्मीर मदमर्दन – जयसिंह सूरी
  10. प्रबंध कोष – राजशेखर
  11. प्रबंध चिंतामणि – मेरूतंग
  12. कान्हड़ दे प्रबंध – पद्मभनाथ
  13. वीरमदेव सोनगरा की बात – पद्मभनाथ
  14. सुर्जन चरित्र – जयसिंह सूरी 
  15. द अर्ली चौहान डायनस्सिट – दशरथ शर्मा
इन सभी ग्रंथों से चौहान वंश के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। 







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