पृथ्वीराज चौहान – (1177–1192 ई.)
- पिता का नाम – सोमेश्वर चौहान माता का नाम – कर्पूरी देवी
- जन्म – पृथ्वीराज चौहान का जन्म अहिलवाड़ा (गुजरात) में 1166 ई. में हुआ था।
- उपनाम/ उपाधि– दलपुंगल (विश्व विजेता) , रायपिथौरा
- राज्याभिषेक – पृथ्वीराज चौहान का राज्याभिषेक मात्र 11 वर्ष की आयु में ही हो गया।
- प्रधानमंत्री – भुवनमल्ल ने पृथ्वीराज चौहान के अल्पआयु के समय शासन संचालन में सहयोग करते थे।
- सेनापति – कदमबास / कैलाश / कैमास ने पृथ्वीराज चौहान की अल्पायु में सुरक्षित रखा।
अजमेर के चौहान वंश के अंतिम प्रतापी राजा पृथ्वीराज चौहान थे।
1177 ई. में पिता सोमेश्वर की मृत्यु के समय पृथ्वीराज चौहान सिर्फ 11 वर्ष की आयु में शासक बने। उनकी माता कर्पूरी देवी ने बड़ी योग्यता और बुद्धिमता से राज्य का संचालन किया।
1178 ई. में पृथ्वीराज ने राजकार्य अपने हाथों में ले लिया। पृथ्वीराज चौहान जब शासन बना तो स्वंय को चारों तरफ से शत्रुओ से घिरा हुआ पाया। इन्होंने धीरे धीरे इनका सफाया करना शुरू कर दिया।
पृथ्वीराज चौहान की प्रारंभिक समस्याएं:–
- नागार्जुन की समस्या
- भण्डानको की समस्या
- महोबा के चंदेलो की समस्या
- गुजरात के गहड़वालो की समस्या
- महमूद गौरी का आगमन
नागार्जुन का दमन :– 1178 ई. में पृथ्वीराज चौहान व नागार्जुन के मध्य गुड़गांव का युद्ध हुआ। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की सेना का नेतृत्व भुवनमल्ल ने किया था तथा इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई।
भण्डानको का दमन :– भण्डानक यह एक विशेषतः हरियाणा क्षेत्र की जाति थी। जो उस समय चौहान सम्राज्य में में लूट – पाट किया करती थी। पृथ्वीराज चौहान ने इस जाति का दमन किया और अपने क्षेत्र को लूट पाट से बचाया।
महोबा पर अधिकार : – महोबा के राजा चंदेल राजवंश के परमर्दीदेव चंदेल थे। तथा परमर्दीदेव के पास दो विश्वत सेनापति आल्हा और ऊदल थे। इन्ही दो सेनापतियों के बल पर परमर्दीदेव चंदेल अपने क्षेत्र पर शांति पूर्व शासन करता था। परमर्दीदेव चंदेल व पृथ्वीराज चौहान के बीच 1182 में तुमुल का युद्ध हुआ तथा इस युद्ध में आल्हा और ऊदल वीर गति को प्राप्त हुये। पृथ्वीराज चौहान की इस युद्ध में विजय हुई। पृथ्वीराज चौहान महोबा का कार्यभार पुंजनराय को सौंपा।
चौहान – चालुक्य संघर्ष के कारण :–
( पृथ्वीराज व भीमदेव के मध्य )
- पृथ्वीराज चौहान के चाचा कान्हा ने भीमदेव के चाचा व उनके सात पुत्रों की हत्या कर दी।
- पृथ्वीराज चौहान अपने पिता सोमेश्वर की हत्या का बदला लेना चाहते थे।
- इच्छा कंवरी आबू के राजा की पुत्री थी जिसका विवाह
- पृथ्वीराज चौहान के साथ हो गया।
जगदेव प्रतिहार ने पृथ्वीराज चौहान व भीमदेव के मध्य समझौता करवाया।
इस समझौते व युद्ध की जानकारी “ चारलु शिलालेख बीकानेर ” से मिलती है।
नागौर का युद्ध 1184 में पृथ्वीराज चौहान व जग्गदेव प्रतिहार के मध्य हुआ इसमें पृथ्वीराज की विजय हुई।
चौहान – गहड़वाल संघर्ष के कारण :– पृथ्वीराज चौहान व जयचंद गहड़वाल मोसेरे भाई थे।
- पृथ्वीराज व जयचंद के नाना अनगपाल तोमर दिल्ली के शासक थे तो उन्होंने अपना उत्तराधिकारी पृथ्वीराज चौहान को घोषित कर दिया। तब इससे जयचंद नाराज हो गया।
- पृथ्वीराज चौहान ने जयचन्द गहड़वाल की पुत्री जयचंद को स्वयंवर से भगाकर ले गया तथा संयोगिता से गन्धर्व विवाह किया।
भारत में मोहम्मद गौरी का आगमन :–
- मोहम्मद गौरी ने भारत पर पहला आक्रमण 1175 ई. में किया।
- मोहम्मद गौरी ने 1178 ई. में गुजरात के भीमदेव द्वितीय ( मूलराज द्वितीय ) पर आक्रमण किया। यह युद्ध आबू में हुआ इस युद्ध में गौरी की हार हुई।
- मोहम्मद गौरी ने भारत के उतरी क्षेत्र से पुनः प्रवेश किया तथा 1182 ई. में पंजाब प्रांत पर अधिकार कर लिया।
- गौरी ने तबरहिन्द ( भटिंडा ) को विजित किया।
तराईन का प्रथम युद्ध :– तराईन का प्रथम युद्ध का 1191 ई. करनाल ( हरियाणा ) तराईन के मैदान में दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान व गजनी का शासक मोहम्मद गौरी के मध्य हुआ। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई। विजय के जोश में पृथ्वीराज चौहान ने भागती हुई गौरी की सेना का पीछा नहीं किया। कुछ इतिहासकार इसे पृथ्वीराज चौहान की महान भूल बताते हैं।
तराईन का द्वितीय युद्ध :– तराईन का द्वितीय युद्ध 1192 ई. में हुआ। प्रथम युद्ध के बाद मोहम्मद गौरी 1 वर्ष तक सैनिक इकट्ठे करने व आक्रमण की तैयारी में लगा रहा। 1192 ई. में लाहौर से मुल्तान के मार्ग से होता हुआ वापिस उसी तराईन के मैदान में आ पहुंचा। मोहम्मद गौरी इस युद्ध को छल से जीतना चाहता था इसलिए उसने युद्ध से पहले यह कहलवाया कि वो युद्ध नही करना चाहता अपितु संधि करना चाहता है।
पृथ्वीराज चौहान थोड़ी सी सेना लेकर तराईन के मैदान में पहुंच गया। पृथ्वीराज की सेना संधि के भ्रम में थी, सुबह जब राजपूत सेना बिखरी पड़ी थी उसी समय गौरी ने आक्रमण कर दिया। इस अचानक आक्रमण से राजपूत सेना घबरा गई। पृथ्वीराज चौहान युद्ध मैदान से भाग गया। गौरी की सेना ने पृथ्वीराज चौहान को सिरसा के पास पकड़ा और वही मार दिया।
पृथ्वीराज रासो के अनुसार :– गौरी पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर गजनी ले गया। गौरी के दरबार में पृथ्वीराज को निगाहें झुकाने के लिए कहा लेकिन पृथ्वीराज ने निगाहें नहीं झुकाई तो गौरी ने उसकी दोनों आंखें फुड़वा दी। पृथ्वीराज चौहान का दोस्त व दरबारी कवि चंदरबरदाई फकीर के वेश में उससे मिलने गजनी गया। वह गौरी के पास पहुंचा और कहा पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण चलाने में निपुण है आप उसके शब्दभेदी बाण चलाने का तमाशा देख सकते हो। गौरी ने कहा वह मेरा कहा नहीं मानेगा।
तब चंदरबरदाई और पृथ्वीराज को मिलाया गया। पृथ्वीराज अपने दोस्त की आवाज पहचान गया, वह शब्दभेदी बाण चलाने के लिए तैयार हुआ।
गौरी ने दरबार लगाकर पृथ्वीराज को बुलवाया। तब चंदरबरदाई ने एक दोहा बोला “ चार बांस चौबीस गज , अंगुल अष्ट प्रमाण , ता पर सुल्तान है , मत चूके चौहान। ” पृथ्वीराज ने शब्दभेदी बाण से गौरी को मार गिराया। चंदरबरदाई ने पृथ्वीराज चौहान की कटार से हत्या कर स्वयं आत्महत्या कर ली।
- पृथ्वीराज रासो ग्रंथ को जल्हण / कल्हण ( चंदरबरदाई का पुत्र ) ने पूर्ण किया।
- पृथ्वीराज चौहान के घोड़े का नाम नाट्यरम्भा था।
- मोहम्मद गौरी ने हिंदुस्तान का कार्यभार अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंपा।
- पृथ्वीराज चौहान की छतरी काबुल में है।
- पृथ्वीराज चौहान का स्मारक अजमेर में बना हुआ है।
- पृथ्वीराज चौहान ने रायपिथोरा नगर बसाया।
- पृथ्वीराज चौहान को अन्तिम हिन्दू सम्राट माना गया है।
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पृथ्वीराज चौहान के काल में मुहम्मद गौरी के साथ भारत आया। व अपनी कर्मस्थली अजमेर को बनाया।
गजनी :- पृथ्वीराज रासो ग्रंथ में यहां पृथ्वीराज चौहान का अंत दिखाया गया है, नेत्रहीन पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी
बाण चलाकर मोहम्मद गौरी की हत्या की। चंदरबरदाई द्वारा इस संबंध में पृथ्वीराज को निम्न दोहा सुनाया था -
" चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।।"
इस घटना के बाद इतिहास में कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान व चंदरबरदाई ने आत्महत्या कर ली।
- पृथ्वीराज चौहान की छतरी काबुल (गजनी) में बनी हुई हैं।
- पृथ्वीराज चौहान का स्मारक अजमेर में तारागढ़ के किले में स्थित हैं।
जयचंद (1170- 94 ई.) :- कनौज के गहड़वाल वंश के जयचंद की शत्रुता दिल्ली और अजमेर के चौहानों के साथ थी। जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के नाना दिल्ली पर राज करते थे। पृथ्वीराज चौहान अधिक प्रिय होने के कारण इनके नाना ने दिल्ली का सम्राट पृथ्वीराज चौहान को बनाया। इससे जयचंद नाराज था। संभवत: जयचंद ने ही मोहम्मद गौरी को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमंत्रण भेजा।
मोहम्मद गौरी ने 1194 ई. चंदावर के युद्ध में जयचंद को पराजित कर मार दिया।
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