गुहिलो कि उत्पत्ति
मेवाड़ के गुहिल वंश कि उत्पत्ति और मूल निवास स्थान के बारे में विद्वानों में काफी मतभेद हैं। गुहिलों कि उत्पत्ति के बारे में विद्वानों का मत निम्न प्रकार से है -
अबुल फजल के अनुसार - मेवाड़ के गुहिल ईरान के बादशाह 'नौशेखां आदिल' की संतान हैं। जब बादशाह जीवित था तब इनके पुत्र नोशेंजाद ने प्राचीन ईसाई धर्म अपना लिया और हिंदुस्तान पर एक बड़ी सेना लेकर आया, फिर अपने पिता के साथ मिलकर ईरान से युद्ध किया जिसमें वहा मारा गया, तब उसकी संतान हिंदुस्तान में ही रही, उसी के वंश में गुहिल हुए।
डॉ. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा के अनुसार - गुहिल वंश के राजपूत सूर्यवंशी है, ओझा ने इसका प्रमाण बापा के सिक्कों पर सूर्य का चिन्ह होना बताया है जो इस बात की पुष्टि करता है की गुहिल सूर्यवंशी है।
मुहणौत नैणसी के अनुसार - इन्होंने गुहिल वंश को ब्राह्मण होना बताया है। मुहणौत नैणसी ने अपनी ख्यात में गुहिलों की 24 शाखाओं का वर्णन किया है।
गोपीनाथ शर्मा के अनुसार - इन्होंने गुहिल वंश को ब्राह्मण होना बताया है।
कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार - टॉड ने फारसी तावरिखो व जैन ग्रंथों के आधार पर राजपूतों को विदेशियों की संतान बताया है, नोशेजाद का वंशज माना है। कर्नल जेम्स टॉड ने भी अपने गुरु ज्ञानचंद्र के अनुसार गुहिलों की 24 शाखाओं को माना है।
डॉ देवदत रामकृष्ण भंडारकर के अनुसार - गुहिल नागर ब्राह्मण थे। जिसके प्रमाण निम्न हैं -
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