बाबा रामदेव जी: राजस्थान के लोकदेवता रामसा पीर, रामदेवरा मेला और सामाजिक समरसता

लोकदेवता बाबा रामदेव जी

विवरणजानकारी
नामलोकदेवता बाबा रामदेव जी (रामसा पीर)
जन्मभाद्रपद शुक्ल द्वितीया, 1409 ई.
जन्मस्थानउडूकासमेर (शिव तहसील, बाड़मेर, राजस्थान)
पिता का नामअजमल जी तंवर
माता का नाममैणा दे
पत्नीनेतल देवी
वंश / जातितंवर (राजपूत)
उपाधि“रामसा पीर” (समानता और सद्भाव के प्रतीक)
विशेषताएँ– गरीबों और दलितों के मसीहा – जाति-पांति और भेदभाव का विरोध – साम्प्रदायिक सद्भाव का संदेश
प्रमुख मंदिररामदेवरा (जैसलमेर), निर्माण – महाराजा गंगासिंह (1931 ई.)
अन्य मंदिरबिराठिया (पाली), उडूकासमेर (बाड़मेर), खुंडियावास (अजमेर), मसूरिया पहाड़ी (जोधपुर), सुरताखेड़ा (चितौड़), कोटड़ा (बाड़मेर)
मेलाभाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक, रामदेवरा (रूणिचा)
समाधि1458 ई., भाद्रपद शुक्ल एकादशी, रूणिचा (जैसलमेर), रामसरोवर की पाल पर
परंपराएँमंदिर = देवरा, ध्वजा = नेजा (श्वेत/पाँच रंगों की), रात्रि जागरण = जम्मा, भक्त = रिखिया, यात्री = जातरू, गाथाएँ = पर्चा (पहली बार रानी रूपा ने गाया) – ब्यावले गीत
  • रामदेव के उपनाम – रामसापीर ( मुसलमान) / रूणेचा रा घणी / पीरो के पीर / कृष्ण के अवतार / साम्प्रदायिक सदभाव लोकदेवता
  • रामदेवजी तंवर वंशीय राजपूत थे।
  • रामदेव जी का जन्म – उडूकासमेर ( शिव तहसील , बाड़मेर) में भाद्रपद शुक्ल द्वितीया ( बाबा री बीज) को हुआ था।
  • नोट:– बाबा रामदेव जी के जन्म के वर्ष को लेकर इतिहासकरो में मतभेद है लेकिन माना जाता है कि इनका जन्म 14 शताब्दी में हुआ है।
  • रामदेव जी के पिता – अजमल जी
  • रामदेव जी की माता – मैणा दे
  • भाई – वीरमदेव (बलराम के अवतार) रामदेव जी के भाई थे।
  • बहिनें – लाछा बाई , सुगना बाई ( सगी बहनें ) व डाली बाई (मुंहबोली बहन)  यह तीनों रामदेव जी की बहने थी।
  • रामदेव जी की पत्नी – नेतल दे ( दलसिंह सोढ़ा की पुत्री , अमरकोट , पाकिस्तान ) जो अपंग थी।
  • गुरु – बालीनाथ ( इनकी समाधि मसूरिया पहाड़ी जोधपुर में है जहां कुष्ठ रोग का ईलाज होता है ) रामदेव जी के गुरू थे।
  • वाहन –  लीला घोड़ा / नीला घोड़ा
  • पंथ – रामदेव जी ने कामड़िया पंथ चलाया।
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लोकदेवता बाबा रामदेव जी – विशेष परंपराएँ

  • रामदेव जी के मंदिर को देवरा कहा जाता है। 
  • इनकी ध्वजा को नेजा कहते है जो श्वेत / पांच रंगों की होती है।
  • रामदेव का रात्रि जागरण जम्मा कहलाता है।
  • बाबा रामदेव जी के मेघवाल समाज के भक्त रिखिया कहलाते है।
  • रामदेवरा में बाबा के दर्शन करने के लिए जाने वाले भक्तो को जातरू कहते है।
  • रामदेव जी के चमत्कारी जीवन गाथाओं का यशोगान पर्चा में होता है।
  • इनकी आस्था में भक्तों द्वारा ब्यावले गीत( रानी रूपा ने सर्वप्रथम गाया )  गाए जाते है।
 

रामदेव जी के शिष्य

  • हरजी भाटी 
  • रतना राइका
  • लक्खी बंजारा
  • आईजी माता 
 
रामदेव जी ने पंच पीपली नामक स्थान पर मक्का से आए 5 पीरो को पर्चा दिया था। मक्का से आए 5 पीरो ने जब रामदेवजी की परीक्षा ली की हम अपने खाना खाने के कटोरे को मक्का में ही भूल आए हैं और हम हमारे ही कटोरे में भोजन करेंगे। तब बाबा रामदेव जी ने उन पांच पीरो के काटोरो को मक्का से यहां ले आए तब इन 5 पीरो ने रामदेव जी को पीरो का पीर कहा।

 

 
मुस्लिम आक्रमणकारियो ने जब भारत के हिंदुओ को मुस्लिम बनाया था। जो लोग मुस्लिमो से डरकर मुस्लिम बने थे। तब रामदेव जी ने शुद्धिकरण आंदोलन चलाया था और इसके तहत हिंदुओ को मुस्लिम से वापिस हिन्दू बनाया गया।
 

तेरहताली नृत्य –

रामदेव जी के मेले पर कामड़ जाति की महिलाओं द्वारा तेरहताली नृत्य किया जाता है। बैठ कर किया जाने वाला यह राजस्थान का एकमात्र नृत्य हैं। इस नृत्य का प्रारम्भ पादरला गांव (पाली) से हुआ था।
 
  • रामदेव जी ने बचपन में भैरव नामक क्रूर राक्षक का जो गायों को मारता था , का वध सातलमेर में किया था।
  • रामदेव जी के प्रतीक चिन्ह के रूप में इनके पगलिये पूजे जाते हैं।
  • रामदेव जी राजस्थान के एकमात्र लोकदेवता हैं , जो कवि भी थे।
  • रामदेव जी की पुस्तक का नाम चौबीस बाणियां है।
 

रामदेव जी का मेला

भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से भाद्रपद शुक्ल एकादशी तक रूणेचा ( रामदेवरा ) में भरता है। इनका मेला साम्प्रदायिक सदभाव का मेला है। इनके भक्त इन्हें कपड़े का घोड़ा चढ़ाते हैं।
 

रामदेव जी का प्रमुख मंदिर –

रामदेवरा ( जैसलमेर ) यहां स्थित मंदिर का निर्माण महाराजा गंगासिंह ने 1931 ई. में करवाया था।
 
अन्य मंदिर –
  • बिराठिया ( पाली )
  • उडूकासमेर ( बाड़मेर )
  • खुंडियावास ( अजमेर )
  • मसूरिया पहाड़ी ( जोधपुर )
  • सुरताखेड़ा ( चितौड़ )
  • कोटड़ा ( बाड़मेर ) आदि।
 
1458 ई. में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को रामदेव जी ने रूणिचा ( जैसलमेर ) में रामसरोवर की पाल पर समाधि ली। इनसे एक दिन पहले डालीबाई ने समाधि ( जल समाधि ) ली।
 

रामदेव जी के समकालीन देवता –

मल्लीनाथ जी व हड़बू जी
 
माना जाता है कि मल्लीनाथ जी ने रामदेव जी को पोकरण क्षेत्र जागीर में दिया था , जिसे रामदेव जी ने अपनी भतीजी को दहेज में दे दिया। और इन्होंने नये नगर रूणेचा को बसाया। लोकदेवता हड़बू जी रामदेव जी के मोसेरे भाई थे।
 
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  • रामदेव जी की फड़ का सर्वाधिक वाचन जैसलमेर , बीकानेर , में होता है।
  • नायक या कामड़ जाति के भोपे रावणहत्था वाद्ययन्त्र पर रामदेव जी की फड़ का वाचन करते हैं।
  • सभी लोक देवताओं में सबसे लम्बा गीत रामदेव जी का ही है।
 
लोकदेवताओ में रामदेव जी एक प्रमुख अवतारी पुरूष थे। समाज सुधारक के रूप में रामदेव जी ने मूर्ति पूजा , तीर्थ यात्रा व जाति व्यवस्था का घोर विरोध किया। गुरु की महता पर जोर देते हुए इन्होंने कर्मो की शुद्धता पर बल दिया। उनके अनुसार कर्म से ही , सदभावना का प्रतीक माना जाता है। इन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता स्थापित करने पर जोर दिया।
 
रामदेव जी के वंशज मृतक को दफनाते है।
 
सुगना बाई –
सुगना बाई का विवाह पुंगलगढ़ के परिहार राव किशन सिंह से हुआ।
 
डाली बाई का मंदिर –
रूणेचा मंदिर परिसर में , रामदेव जी की समाधि के पास बना है।
 

बाबा रामदेव जी – FAQ

Q1. बाबा रामदेव जी कौन थे?
👉 बाबा रामदेव जी राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता और समाज सुधारक थे। उन्हें “रामसा पीर” कहा जाता है।

Q2. बाबा रामदेव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
👉 बाबा रामदेव जी का जन्म 1409 ईस्वी में भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को उडूकासमेर (शिव तहसील, बाड़मेर, राजस्थान) में हुआ था।

Q3. बाबा रामदेव जी के माता-पिता कौन थे?
👉 बाबा रामदेव जी के पिता का नाम अजमल जी तंवर और माता का नाम मैणा दे था।

Q4. बाबा रामदेव जी का प्रमुख मंदिर कहाँ है?
👉 बाबा रामदेव जी का प्रमुख मंदिर जैसलमेर ज़िले के रामदेवरा (रूणिचा) में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1931 ईस्वी में महाराजा गंगासिंह ने करवाया था।

Q5. बाबा रामदेव जी का मेला कब लगता है?
👉 रामदेवरा मेला भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक लगता है। यह मेला साम्प्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है।

Q6. बाबा रामदेव जी की समाधि कब और कहाँ हुई थी?
👉 1458 ईस्वी में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को रूणिचा (रामदेवरा, जैसलमेर) में रामसरोवर की पाल पर बाबा रामदेव जी ने समाधि ली थी।

Q7. बाबा रामदेव जी की ध्वजा (नेजा) कैसी होती है?
👉 बाबा रामदेव जी के मंदिर की ध्वजा (नेजा) श्वेत या पाँच रंगों की होती है।

Q8. बाबा रामदेव जी को भक्त किस नाम से पुकारते हैं?
👉 बाबा रामदेव जी को भक्त “रामसा पीर” के नाम से भी पुकारते हैं।

 
 

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