राजस्थान का गणगौर उत्सव

राजस्थान का गणगौर उत्सव

गणगौर उत्सव का परिचय गणगौर राजस्थान का एक प्रमुख पारंपरिक पर्व है। यह त्यौहार विशेष रूप से महिलाओं का पर्व माना जाता है और गौरी माता (पार्वती) एवं भगवान शिव की पूजा को समर्पित है। “गण” का अर्थ है भगवान शिव और “गौर” का अर्थ है गौरी माता। गणगौर कब और कैसे मनाया जाता है … Read more

सलूम्बर और कोठारिया

1857 की क्रांति में सलूम्बर और कोठारिया का योगदान

1857 की क्रांति में सलूम्बर और कोठारिया का योगदान आउवा (जोधपुर) के ठाकुर कुशालसिंह से प्रेरणा लेकर मेवाड़ के दो प्रमुख सामन्तों सलूम्बर के रावत केसरीसिंह और कोठारिया के रावत जोधसिंह, का 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में अपूर्व योगदान रहा है। यह सही है कि मारवाड़ के सामन्तों की भांति मेवाड़ के सामन्तों ने … Read more

1857 की क्रांति में कोटा का योगदान – कारण, घटनाएं और ऐतिहासिक विश्लेषण

1857 की क्रांति में कोटा राजस्थान के राज्यों में हुई 1857 ई. की क्रांति में कोटा का महत्वपूर्ण स्थान है। कोटा में विद्रोह का मुख्य कारण यह था कि पोलिटिकल एजेन्ट मेजर बर्टन ने कोटा महाराव को यह सलाह दी कि कुछ अफसर वफादार नहीं हैं तथा उनका रवैया अंग्रेज विरोधी हैं। अतः वे ऐसे … Read more

मेवाड़ में 1857 की क्रांति – एक वीरता और स्वाभिमान की गाथा

मेवाड़ में 1857 की क्रांति – एक वीरता और स्वाभिमान की गाथा

1857 ई. की क्रांति के समय मेवाड़ की जनता में भी अंग्रेजों के विरुद्ध काफी रोष था। मेवाड़ के अधिकांश सामंत ब्रिटिश शासन के खिलाफ थे। क्योंकि अंग्रेजों ने सामंतों के अधिकारों को छीन लिया। नसीराबाद बाद में हुई क्रांति की सूचना मेवाड़ उदयपुर पहुंच चुकी थी। सूचना मिलने पर मेवाड़ की जनता में विद्रोह … Read more

1857 की क्रांति में आऊवा और एरिनपुरा का विद्रोह: राजस्थान के रणबांकुरों की गाथा

1857 की क्रांति में आऊवा और एरिनपुरा का विद्रोह

1857 की क्रांति में आऊवा और एरिनपुरा 1857 का विद्रोह पूरे भारत में अंग्रेजी शासन के खिलाफ जनआक्रोश का प्रतीक बना। जहाँ अधिकांश राजस्थानी रियासतें ब्रिटिशों के साथ रहीं, वहीं कुछ क्षेत्रों ने वीरता और स्वतंत्रता की लौ को जलाए रखा।राजस्थान के आऊवा (Pali, मारवाड़) और एरिनपुरा (Sirohi) ऐसे दो महत्वपूर्ण केंद्र थे जहाँ से … Read more