महाराणा कुम्भा का इतिहास: विजय स्तम्भ, 32 दुर्ग और मेवाड़ का स्वर्ण युग

 महाराणा कुम्भा (1433–1468 ई.) महाराणा कुम्भा के दादा का नाम राणा लाखा था। महाराणा कुम्भा की दादी का नाम हंसाबाई था। महाराणा कुम्भा के पिता का नाम महाराणा मोकल था। महाराणा कुम्भा की माता का नाम सौभाग्य देवी था। महाराणा कुम्भा के ताऊ का नाम चुंडा था। ऐसा कहा जाता हैं कि जिस समय चाचा … Read more

चितौड़ के प्रसिद्ध तीन साके: 1303, 1535 और 1567–68 का संक्षिप्त इतिहास

चितौड़ के प्रसिद्ध तीन साके चितौड़ का प्रथम साका – 1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण, उस समय चितौड़ के शासक रावल रतनसिंह थे।  नोट :– चितौड़ का प्रथम साका 26 अगस्त 1303 ई. में हुआ। चितौड़ का दूसरा साका 8 मार्च 1535 ई. में हुआ। चितौड़ का तीसरा साका 25 फरवरी 1568 ई. … Read more

महाराणा मोकल का इतिहास: एकलिंगजी परकोटा, समिद्धेश्वर मंदिर और राजनीतिक संघर्ष

 महाराणा मोकल (1421–1433 ई.) महाराणा मोकल के पिता का नाम लक्षसिंह था। महाराणा मोकल की माता का नाम हंसाबाई था। राणा मोकल के भाई का नाम चुंडा था। राणा मोकल के मामा का नाम रणमल राठौड़ था। मोकल के पिता महाराणा लाखा की मृत्यु के समय मोकल की आयु 12 वर्ष थी। 12 वर्ष की … Read more

महाराणा लक्षसिंह (लाखा) का इतिहास: जावर की खदानें, पिछोला झील और मेवाड़ का पुनर्जागरण

महाराणा लक्षसिंह(लाखा) (1382–1421 ई.) महाराणा लक्षसिंह (लाखा) के पिता का नाम क्षेत्रसिंह था।महाराणा लक्षसिंह की रानी का नाम हंसाबाई था। महाराणा लक्षसिंह के प्रथम पुत्र का नाम चुंडा था महाराणा लक्षसिंह का दूसरा पुत्र हंसाबाई से उत्पन्न मोकल था। राणा लाखा का काल मेवाड़ राज्य के लिए अत्यधिक उत्कृष्ट था क्योंकि महाराणा लाखा के शासनकाल … Read more

महाराणा हम्मीर सिसोदिया: मेवाड़ के उद्धारक और सिसोदिया वंश के संस्थापक

महाराणा हम्मीर सिसोदिया सिसोदिया शाखा :– गुहिल वंश के राजा रणसिंह के पुत्र राहप ने सिसोदा गांव में जाकर रहना शुरू कर दिया। राहप ने सिसोदा गांव को ही अपनी जागीर बना लिया। आगे चलकर राहप के ही वंश में लक्ष्मणदेव सिसोदिया हुये। लक्ष्मणदेव के ही वंशज आगे चलकर सिसोदिया / राणा कहलाए।   लक्ष्मणदेव सिसोदिया … Read more