राजस्थान की तीज – स्त्रियों का प्रिय उत्सव

राजस्थान की तीज और गणगौर का संबंध

राजस्थान में एक कहावत प्रचलित है –
“तीज त्यौहारा बावरी, ले डूबी गणगौर।”
अर्थात्, त्यौहारों के चक्र की शुरुआत श्रावण माह की तीज से होती है और इसका समापन गणगौर से होता है।

तीज का पर्व कब और कैसे मनाया जाता है?

तीज का पर्व हर वर्ष श्रावण माह (जुलाई-अगस्त) में आता है। इसे विशेष रूप से श्रवण शुक्ला तृतीया को मनाया जाता है।

  • यह पर्व खासतौर पर बालिकाओं और नवविवाहिताओं का होता है।
  • विवाह के बाद पहली सावन की तीज पीहर (मायके) में मनाने की परंपरा है।
  • मान्यता है कि पहली सावन में सास और बहू को एक साथ नहीं रहना चाहिए, इसलिए ससुराल पक्ष बहू को मायके भेज देता है।

तीज पर्व की प्रमुख परंपराएँ

  1. झूला झूलना – महिलाएँ और बालिकाएँ पेड़ों पर झूले डालकर झूलती हैं।
  2. मेहंदी रचाना – तीज से एक दिन पहले हाथों और पैरों में मेहंदी लगाने की परंपरा है।
  3. गीत-संगीत – स्त्रियाँ श्रृंगार और ऋतु से जुड़े गीत गाती हैं।
  4. मेले – तालाबों और बगीचों के किनारे बड़े मेलों का आयोजन होता है।
  5. खेती-बाड़ी से संबंध – इस समय खेतों में मोठ, बाजरा और फली की बुवाई शुरू होती है।

जयपुर की तीज

राजस्थान की राजधानी जयपुर का तीज उत्सव विश्व प्रसिद्ध है।

  • इसमें सजे-संवरे हाथी, घोड़े, ऊँट और उनके महावत भव्य शोभायात्रा में शामिल होते हैं।
  • तीज माता की सवारी बग्घियों और पालकियों में निकलती है।
  • राजस्थानी वेशभूषा में लोग लोकगीत गाते और नृत्य करते हैं।
  • हजारों की संख्या में पर्यटक, विशेषकर विदेशी सैलानी, इस भव्य दृश्य का आनंद लेने आते हैं।

जयपुर की तीज की सवारी

  • तीज माता की प्रतिमा को सुसज्जित पालकी में बिठाकर सिटी पैलेस से जुलूस निकाला जाता है।
  • जुलूस में हाथी, घोड़े, ऊँट और उनके सजे-धजे महावत शामिल होते हैं।
  • पारंपरिक राजस्थानी वेशभूषा में लोक कलाकार लोकनृत्य और लोकगीत प्रस्तुत करते हैं।
  • हजारों लोग इस भव्य सवारी का दर्शन करने के लिए जयपुर की सड़कों पर उमड़ते हैं।
  • जयपुर में तीज के अवसर पर विशाल मेला आयोजित होता है।
  • स्थानीय बाजारों में हस्तशिल्प, परिधान और आभूषण की दुकानें सजती हैं।
  • विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में इस उत्सव का आनंद लेने आते हैं।
  • तीज का पर्व राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और शाही परंपरा की झलक प्रस्तुत करता है।

बूंदी की कजली तीज

क्या आप जानते हैं?
राजस्थान में जहाँ अधिकांश जगह श्रावणी तीज मनाई जाती है, वहीं बूंदी की कजली तीज अलग पहचान रखती है।

  • यह भाद्रपद कृष्णा तृतीया को मनाई जाती है।
  • इसमें सुसज्जित पालकियों में तीज माता की शोभायात्रा निकलती है।
  • जुलूस की शुरुआत मनोरम नवल सागर तालाब से होती है और यह कुंभा स्टेडियम तक पहुँचता है।
  • कजली तीज में स्थानीय लोक कलाकार, गीत-संगीत और नृत्य इस पर्व को अद्भुत बना देते हैं।

तीज का महत्व

  • वैवाहिक जीवन की मंगलकामना – विवाहित महिलाएँ पति की लंबी आयु और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए तीज का व्रत रखती हैं।
  • कन्याओं की आस्था – अविवाहित लड़कियाँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस पर्व को मनाती हैं।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक – तीज महिलाओं के लिए मेलजोल, उत्साह और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अवसर बनती है।
  • प्रकृति और ऋतु से जुड़ाव – तीज सावन की हरियाली और मानसून की ताजगी का उत्सव है।

तीज राजस्थान का एक लोकप्रिय और पारंपरिक पर्व है, जो स्त्रियों की आस्था, श्रृंगार और उल्लास का प्रतीक है। जयपुर की तीज और बूंदी की कजली तीज तो विश्वभर में अपनी छाप छोड़ चुकी हैं। सच में, तीज राजस्थान की संस्कृति और लोकजीवन की आत्मा है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. तीज त्योहार कब मनाया जाता है?
👉 तीज त्योहार श्रावण माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है।

Q2. तीज का धार्मिक महत्व क्या है?
👉 विवाहित महिलाएँ पति की लंबी आयु के लिए और अविवाहिताएँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए तीज का व्रत रखती हैं।

Q3. जयपुर की तीज क्यों प्रसिद्ध है?
👉 जयपुर की तीज भव्य शोभायात्रा, हाथियों-घोड़ों की सजावट और लोकनृत्य-गीतों के लिए प्रसिद्ध है।

Q4. बूंदी की कजली तीज कब मनाई जाती है?
👉 कजली तीज भाद्रपद कृष्णा तृतीया को मनाई जाती है।

Q5. तीज पर्व की प्रमुख परंपराएँ क्या हैं?
👉 झूला झूलना, मेहंदी रचाना, गीत-संगीत गाना और मेलों का आयोजन तीज पर्व की प्रमुख परंपराएँ हैं।

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