राजस्थान के प्रमुख संत- संत पीपा, धन्ना, श्रद्धानाथ व बालनन्दाचार्य

संत पीपा, संत धन्ना, श्रद्धानाथ जी व बालनन्दाचार्य जी का जीवन परिचय

राजस्थान की धरती सदियों से वीरता, भक्ति और त्याग की भूमि रही है। यहाँ अनेक संतों ने जन्म लेकर समाज में भक्ति, समानता और निर्गुण निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश दिया। संतों ने अपने जीवन और शिक्षाओं से समाज की कुरीतियों का विरोध किया और धर्म, भक्ति तथा सत्य का मार्ग दिखाया।

इस लेख में हम संत पीपा , श्रद्धानाथ जी, संत धन्ना जी और बालनन्दाचार्य जी के जीवन और योगदान के बारे में जानेंगे।

1. संत पीपा (Sant Pipa)

जन्म और परिवार

  • जन्म: 1425 ईस्वी, चैत्र पूर्णिमा
  • जन्म स्थान: गागरोन दुर्ग (झालावाड़)
  • पिता: कड़ावा राव
  • माता: लक्ष्मीवती
  • जाति: खींची राजपूत
  • बचपन का नाम: प्रतापसिंह

गुरु

  • गुरु: संत रामानन्दजी

प्रमुख स्थल

  • संत पीपा की छतरी: गागरोन दुर्ग
  • संत पीपा की गुफा: टोडा गाँव (टोंक)
  • संत पीपा का मंदिर: समदड़ी गाँव (बाड़मेर)

प्रमुख तथ्य

  1. संत पीपा जी ने अपना राजपाट भतीजे को सौंपकर वैराग्य धारण किया।
  2. उन्होंने सिलाई का कार्य अपनाया, इसलिए दर्जी समुदाय उन्हें अपना आराध्य मानता है।
  3. वे कबीर, रैदास आदि शिष्यों के साथ गुरु रामानन्दजी के संग द्वारका गए।
  4. संत पीपा ने दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक को युद्ध में पराजित किया।
  5. उन्होंने बाह्य आडंबर, कर्मकांड और रूढ़ियों का विरोध किया।
  6. वे निर्गुण और निराकार ईश्वर के उपासक थे।
  7. संत पीपा ने पर्दा प्रथा और ऊँच-नीच की भावना का विरोध किया।
  8. अपनी पत्नी सीता को आजीवन बिना पर्दे रखा, जो उस समय की परंपरा के विरुद्ध था।

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2. श्रद्धानाथ जी (Shraddhanath Ji)

  • स्थान: लक्ष्मणगढ़ (सीकर)
  • स्वयं शिक्षित न होने के बावजूद शेखावाटी क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाई।

परनामी संप्रदाय

  • स्थापना: प्राणनाथ द्वारा
  • विचारधारा: निर्गुण भक्ति
  • प्रधान पीठ: पन्ना (मध्य प्रदेश)
  • राजस्थान का प्रमुख केन्द्र: आदर्शनगर (जयपुर)
  • मुख्य ग्रंथ: कुजलम स्वरूप

3. संत धन्ना (Sant Dhanna )

  • जन्म स्थान: धुवन गाँव (टोंक)
  • जन्म: जाट परिवार में
  • गुरु: संत रामानन्दजी
  • संत धन्ना जी ने राजस्थान में धार्मिक आंदोलन की शुरुआत की।
  • मुख्य मंदिर: बोरानाडा (जोधपुर)

4. बालनन्दाचार्य जी (Balanandacharya Ji)

  • मुख्य केन्द्र: लोहार्गल
  • अपनी सेना रखने के कारण इन्हें लश्कर संत कहा जाता है।
  • इन्होंने औरंगजेब के खिलाफ 52 मूर्तियों की रक्षा की।
  • अपनी सेना भेजकर मेवाड़ के महाराणा राजसिंह और मारवाड़ के दुर्गादास राठौड़ की औरंगजेब के विरुद्ध सहायता की।

राजस्थान के संतों ने समाज में समानता, निर्गुण भक्ति और सत्य का संदेश दिया। संत पीपा जी, संत धन्ना जी, श्रद्धानाथ जी और बालनन्दाचार्य जी ने अपने जीवन से साबित किया कि भक्ति केवल आडंबर नहीं, बल्कि मानवता और सत्य के मार्ग पर चलना है।

राजाराम जी

  • मुख्य केन्द्र – शिकारपुरा (जोधपुर)
  • समाज – पटेल जाति के मुख्य सन्त
  • विशेष योगदान – पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

नवल दास जी

  • जन्म स्थान – हरसोलाव (नागौर)
  • मुख्य मंदिर – जोधपुर
  • स्थापना – नव संप्रदाय
  • पुस्तकनवलेश्वर अनुभववाणी

स्वामी लाल गिरी

  • जन्म स्थान – चूरू
  • मुख्य केन्द्र – बीकानेर
  • स्थापना – अलखिया सम्प्रदाय
  • पुस्तकअलख स्तुति प्रकाश

सन्त दास जी

  • मुख्य केन्द्र – दाँतडा (भीलवाड़ा)
  • विशेष योगदान – गुदड़ सम्प्रदाय चलाया।

संत सुन्दरदास जी

  • प्रधान पीठ – फतेहपुर
  • विशेष – काशी के 80 घाट पर गोस्वामी तुलसीदास के साथ निवास किया।
  • परमहंस – जसनाथी संप्रदाय के विरक्त संत।

संत पीपा जी – FAQ

प्रश्न 1. संत पीपा जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: संत पीपा जी का जन्म 1425 ईस्वी में चैत्र पूर्णिमा के दिन गागरोन दुर्ग (झालावाड़, राजस्थान) में हुआ था।

प्रश्न 2. संत पीपा जी का बचपन का नाम क्या था?

उत्तर: संत पीपा जी का बचपन का नाम प्रतापसिंह था।

प्रश्न 3. संत पीपा जी किस जाति से संबंधित थे?

उत्तर: संत पीपा जी खींची राजपूत जाति से संबंधित थे।

प्रश्न 4. संत पीपा जी के गुरु कौन थे?

उत्तर: संत पीपा जी के गुरु संत रामानन्दजी थे।

प्रश्न 5. संत पीपा जी की पत्नी का क्या नाम था?

उत्तर: संत पीपा जी की पत्नी का नाम सीता था, जिन्हें उन्होंने आजीवन बिना पर्दे रखा।

प्रश्न 6. संत पीपा जी दर्जी समाज के आराध्य क्यों माने जाते हैं?

उत्तर: राज्य त्यागने के बाद संत पीपा जी ने सिलाई का कार्य अपनाया, इसलिए दर्जी समुदाय उन्हें अपना आराध्य मानता है।

प्रश्न 7. संत पीपा जी से जुड़े प्रमुख स्थल कौन से हैं?

उत्तर

  • संत पीपा की छतरी – गागरोन दुर्ग (झालावाड़)
  • संत पीपा की गुफा – टोडा गाँव (टोंक)
  • संत पीपा का मंदिर – समदड़ी गाँव (बाड़मेर)
प्रश्न 8. संत पीपा जी की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं?

उत्तर:

  • ईश्वर निर्गुण और निराकार है।
  • बाहरी आडंबर, कर्मकांड और रूढ़ियों का विरोध।
  • ऊँच-नीच और पर्दा प्रथा का विरोध।
  • मानवता और समानता का संदेश।

श्रद्धानाथ जी – FAQ

प्रश्न 1. श्रद्धानाथ जी कहाँ के रहने वाले थे?

उत्तर: श्रद्धानाथ जी राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र से संबंधित थे।

प्रश्न 2. श्रद्धानाथ जी की विशेषता क्या थी?

उत्तर: श्रद्धानाथ जी स्वयं शिक्षित नहीं थे, लेकिन उन्होंने शेखावाटी क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाई।

प्रश्न 3. श्रद्धानाथ जी किस संप्रदाय से जुड़े थे?

उत्तर: श्रद्धानाथ जी परनामी संप्रदाय से जुड़े थे, जिसकी स्थापना प्राणनाथ जी ने की थी।

प्रश्न 4. परनामी संप्रदाय का प्रधान पीठ कहाँ है?

उत्तर: परनामी संप्रदाय का प्रधान पीठ पन्ना (मध्य प्रदेश) में स्थित है।

संत धन्ना जी – FAQ

प्रश्न 1. संत धन्ना जी का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: संत धन्ना जी का जन्म राजस्थान के टोंक जिले के धुवन गाँव में जाट परिवार में हुआ था।

प्रश्न 2. संत धन्ना जी के गुरु कौन थे?

उत्तर: संत धन्ना जी के गुरु संत रामानन्द जी थे।

प्रश्न 3. संत धन्ना जी का प्रमुख योगदान क्या था?

उत्तर: संत धन्ना जी ने राजस्थान में धार्मिक आंदोलन की शुरुआत की और निर्गुण भक्ति का संदेश दिया।

प्रश्न 4. संत धन्ना जी से संबंधित प्रमुख मंदिर कौन सा है?

उत्तर: संत धन्ना जी का मुख्य मंदिर बोरानाडा (जोधपुर) में स्थित है।

बालनन्दाचार्य जी – FAQ

प्रश्न 1. बालनन्दाचार्य जी का प्रमुख केन्द्र कहाँ था?

उत्तर: बालनन्दाचार्य जी का प्रमुख केन्द्र राजस्थान का लोहार्गल था।

प्रश्न 2. बालनन्दाचार्य जी को लश्कर संत क्यों कहा जाता है?

उत्तर: बालनन्दाचार्य जी के पास अपनी सेना थी और उन्होंने औरंगजेब के विरुद्ध 52 मूर्तियों की रक्षा की, इसी कारण उन्हें “लश्कर संत” कहा जाता है।

प्रश्न 3. बालनन्दाचार्य जी ने किसकी मदद की थी?

उत्तर: बालनन्दाचार्य जी ने अपनी सेना भेजकर मेवाड़ के महाराणा राजसिंह और मारवाड़ के दुर्गादास राठौड़ की औरंगजेब के खिलाफ मदद की थी।

प्रश्न 4. बालनन्दाचार्य जी का ऐतिहासिक योगदान क्या था?

उत्तर: बालनन्दाचार्य जी ने औरंगजेब की धार्मिक नीतियों का विरोध किया और राजस्थान में मूर्तियों एवं मंदिरों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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