संत जांभोजी का जीवन परिचय और विश्नोई सम्प्रदाय | राजस्थान के प्रमुख संत

राजस्थान की भूमि केवल वीर योद्धाओं और राजाओं के लिए ही नहीं, बल्कि संत-महात्माओं के लिए भी जानी जाती है। इन्हीं में से एक प्रमुख संत हैं संत जांभोजी, जिन्होंने पर्यावरण, अहिंसा और समाज सुधार का संदेश दिया। उन्हें राजस्थान का “पर्यावरण वैज्ञानिक” भी कहा जाता है।

विषयविवरण
पूरा नामसंत जांभोजी
जन्म1451 ईस्वी (विक्रम संवत 1508), भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (जन्माष्टमी)
जन्म स्थानपीपासर गाँव, जिला नागौर (राजस्थान)
बचपन का नामधनराज
पिता का नामलोहतजी पंवार
माता का नामहंसा बाई
जाति / गोत्रराजपूत / पंवार
गुरुगोरखनाथजी
स्थापित सम्प्रदायविशेषी सम्प्रदाय (1485 ईस्वी, समराथल धरोहर टीला, बीकानेर)
मुख्य सिद्धांतअहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य
समाधि स्थलमुकाम गाँव (नोखा तहसील, बीकानेर) – 1536 ईस्वी
उपनामपर्यावरण वैज्ञानिक, गूंगा महेला, विष्णु का अवतार
मुख्य ग्रंथजंभसागर, शब्दावली, जंभकाव्य/शब्दवाणी, जंभसहिती, विशेषी धर्मग्रंथ
मूल मंत्र“हृदय से विष्णु का नाम जपो और हाथ से कार्य करो।”
प्रमुख आराध्य स्थलपीपासर (नागौर), लालासर (बीकानेर), रामडाबर (जोधपुर), जांगलू (बीकानेर), जांभा (जोधपुर)
समकालीन राजासिकंदर लोदी, नवाब मोहम्मद खाँ, राव दुदा, राव जेता, राव साल्तालदेव, राणा कुम्भा

संत जांभोजी का जीवन परिचय

  • जन्म – 1451 ईस्वी (विक्रम संवत 1508) भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (जन्माष्टमी) के दिन
  • जन्म स्थान – पीपासर गाँव, जिला नागौर (राजस्थान)
  • पिता – लोहतजी पंवार
  • माता – हंसा बाई
  • जाति – राजपूत
  • गोत्र – पंवार
  • बचपन का नाम – धनराज
  • गुरु – गोरखनाथजी

बचपन से ही जांभोजी का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। वे लोककल्याण, प्रकृति और धार्मिक सुधार की दिशा में जीवनभर कार्य करते रहे।

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विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना

1485 ईस्वी में कार्तिक कृष्ण अष्टमी के दिन, जांभोजी ने समराथल धरोहर टीला (बीकानेर) पर विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना की।

इस सम्प्रदाय की विशेषताएँ –

  • अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य (बीसण+नो) का पालन।
  • पशु-पक्षियों और पेड़ों की रक्षा का संदेश।
  • सामाजिक बुराइयों का विरोध।

इसी कारण यह सम्प्रदाय विश्नोई सम्प्रदाय कहलाया।

संत जांभोजी की समाधि

  • 1536 ईस्वी में जांभोजी ने मुकाम गाँव (नोखा तहसील, बीकानेर) में मार्गशीर्ष कृष्ण नवमी को समाधि ली।
  • यहाँ प्रतिवर्ष आषाढ़ और फाल्गुन अमावस्या को विशाल मेला आयोजित होता है।

संत जांभोजी के उपनाम

  1. पर्यावरण वैज्ञानिक
  2. गूंगा महेला
  3. विष्णु का अवतार

संत जांभोजी द्वारा रचित ग्रंथ

  1. जंभसागर – 29 नियम
  2. शब्दावली
  3. जंभकाव्य/शब्दवाणी – 120 शब्द संग्रहित
  4. जंभसहिती/जंभमीत – 151 शब्द, जिन्हें वे वेद और पुराण मानते थे।
  5. विश्नोई धर्मग्रंथ

विश्नोई सम्प्रदाय के प्रमुख आराध्य स्थल

  1. पीपासर (नागौर) – खड़जी पूजा स्थल
  2. लालासर (बीकानेर) – निर्वाण (निधन) स्थल
  3. रामडाबर (जोधपुर)
  4. जांगलू (बीकानेर)
  5. जांभा (जोधपुर)

संत जांभोजी की पावन परम्पराएँ

  • पाहल (पावन जल) – जांभोजी द्वारा अभिमंत्रित जल, जिससे दीक्षित किया जाता था।
  • साथरी – विशेषी सम्प्रदाय का उपदेश स्थल।
  • मूल मंत्र“हृदय से विष्णु का नाम जपो और हाथ से कार्य करो।”

संत जांभोजी और समकालीन राजा

“कथा जैसलमेर की” नामक कविता (संत दयालदास वेलीसी द्वारा रचित) से पता चलता है कि जांभोजी के समकालीन 6 राजा उनके अनुयायी बने –

  1. सिकंदर लोदी (दिल्ली बादशाह)
  2. नवाब मोहम्मद खाँ (नागौर)
  3. राव दुदा (मेड़ता)
  4. राव जेता (जैसलमेर)
  5. राव साल्तालदेव (मारवाड़)
  6. राणा कुम्भा (मेवाड़)

संत जांभोजी केवल धार्मिक गुरु ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक और पर्यावरण रक्षक भी थे। उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों को प्रकृति संरक्षण, अहिंसा और सत्मार्ग अपनाने की प्रेरणा देती हैं। राजस्थान की संस्कृति में जांभोजी का योगदान सदैव अमर रहेगा।

संत जांभोजी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. संत जांभोजी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर – संत जांभोजी का जन्म 1451 ईस्वी में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (जन्माष्टमी) के दिन, नागौर जिले के पीपासर गाँव में हुआ था।

प्रश्न 2. संत जांभोजी के माता-पिता का नाम क्या था?
उत्तर – उनके पिता का नाम लोहतजी पंवार और माता का नाम हंसा बाई था।

प्रश्न 3. संत जांभोजी ने किस सम्प्रदाय की स्थापना की थी?
उत्तर – संत जांभोजी ने 1485 ईस्वी में विशेषी सम्प्रदाय की स्थापना की थी।

प्रश्न 4. जांभोजी का मूल मंत्र क्या था?
उत्तर – जांभोजी का मूल मंत्र था –
“हृदय से विष्णु का नाम जपो और हाथ से कार्य करो।”

प्रश्न 5. संत जांभोजी की समाधि कहाँ स्थित है?
उत्तर – संत जांभोजी की समाधि राजस्थान के मुकाम गाँव (नोखा तहसील, बीकानेर) में स्थित है।

प्रश्न 6. संत जांभोजी को किन उपनामों से जाना जाता है?
उत्तर – उन्हें पर्यावरण वैज्ञानिक, गूंगा महेला और विष्णु का अवतार कहा जाता है।

प्रश्न 7. संत जांभोजी के प्रमुख ग्रंथ कौन-कौन से हैं?
उत्तर – जंभसागर, शब्दावली, जंभकाव्य/शब्दवाणी, जंभसहिती/जंभमीत और विशेषी धर्मग्रंथ प्रमुख हैं।

प्रश्न 8. संत जांभोजी के समकालीन राजा कौन-कौन थे?
उत्तर – सिकंदर लोदी (दिल्ली), नवाब मोहम्मद खाँ (नागौर), राव दुदा (मेड़ता), राव जेता (जैसलमेर), राव साल्तालदेव (मारवाड़) और राणा कुम्भा (मेवाड़)।

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