राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
भारत त्योहारों की धरती है और राजस्थान अपने रंग-बिरंगे त्यौहारों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ हर माह धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इस लेख में हम फाल्गुन से आषाढ़ माह तक आने वाले प्रमुख त्योहारों और उनके महत्व को जानेंगे।
फाल्गुन से आषाढ़ माह के त्यौहारों का महत्व
फाल्गुन माह
कृष्ण पक्ष
महाशिवरात्रि – फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी
- इस दिन शिव की दुग्ध व बेल पत्रों से पूजा-अर्चना की जाती है।
- इस दिन भगवान शिव व पार्वती का विवाह हुआ था।
- इस दिन भगवान शिव ने राक्षसों द्वारा तैयार किए गए जहर को अपने
- कंठ में रख लिया था, इसलिए भगवान शिव, नीलकंठ कहलाए।
शुक्ल पक्ष
ढूँढ – फाल्गुन शुक्ल एकादशी
- बच्चा होने पर होली से पहली वाली ग्यारस को पूजते हैं।
- इस दिन छोटे बच्चों के लिए ननिहाल से नानी के द्वारा जो मिठाई कपड़े खिलौने लाए जाते हैं उसे ढूँढ कहते हैं।
होली – फाल्गुन पूर्णिमा – रंगों का त्योहार
- इस दिन हिरण्यकश्यप की आज्ञा पर उसकी बहन होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हुई थी लेकिन प्रह्लाद बच गया था तथा होलिका जल गई थी।
- यह फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे ‘फाल्गुनी’ भी कहते हैं।
- बाड़मेर की पत्थर मार होली में इल्लोजी की बरात भी निकाली जाती है।
चैत्र माह के त्योहार
कृष्ण पक्ष
धुलंडी चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा
- होली के दूसरे दिन धुलंडी मनाई जाती है।
- इसी दिन गणगौर पूजन प्रारम्भ होता है।
- इस दिन होलिका की राख की पूजा और वंदना की जाती है तथा रंग और गुलाल से होली खेलते हैं।
राजस्थान की प्रसिद्ध होलियाँ
होली का प्रकार | स्थान / क्षेत्र | विशेषता |
---|---|---|
लट्ठमार होली | महावीर जी, करौली | महिलाएँ पुरुषों पर लाठियाँ बरसाती हैं, यह हास्य और परंपरा का अनोखा संगम है। |
बेंतमार होली | जोधपुर | यहाँ पुरुष आपस में बेंत (लाठी) से खेलते हैं। |
देवर-भाभी की होली | ब्यावर, अजमेर | देवर और भाभी आपसी मज़ाक और परंपरागत गीतों के साथ होली खेलते हैं। |
कोड़ामार होली | भिनाय, अजमेर | यहाँ कोड़ों से होली खेलने की परंपरा है। |
पत्थर मार होली | बाड़मेर | पत्थरों से होली खेलने की अनोखी परंपरा, जो साहस और रोमांच का प्रतीक है। |
भगोरिया होली | मेवाड़ क्षेत्र | यह होली मेले के रूप में खेली जाती है और युवक-युवतियाँ इसमें भाग लेते हैं। |
नहाण होली | आवां व सांगोद, कोटा | इस होली में विशेष लोकनृत्य और गीतों का आयोजन होता है। |
जमरा बीज – चैत्र कृष्ण द्वितीया ।
घुड़ला का त्योहार – चैत्र कृष्ण अष्टमी
- यह त्योहार राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में चैत्र कृष्ण अष्टमी से लेकर चैत्र शुक्ल तृतीया तक 16 दिनों तक मनाया जाता है।
- इस त्योहार पर घुड़ला नृत्य तथा घुड़ला गीत गाया जाता है।
शीतलाष्टमी – चैत्र कृष्ण अष्टमी
- इस दिन शीतला माता का व्रत व पूजन किया जाता है।
- होली के आठवें दिन अर्थात् चैत्र कृष्ण अष्टमी को यह त्योहार मनाया जाता है।
- इस दिन बास्योड़ा भोजन (एक दिन पहले बनाया गया भोजन) किया जाता है।
- इस दिन शील की डूंगरी चाकसू, जयपुर, वल्लभनगर (उदयपुर) व कागा, जोधपुर में शीतला माता का विशाल मेला भरता है।
शुक्ल पक्ष
नवसंवत्सर – चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा
- इस दिन नया विक्रम संवत् का पहला दिन होता है।
- हिन्दुओं का नववर्ष इसी दिन से प्रारम्भ होता है।
- महाराष्ट्र में इस दिन ‘गुड़ी पड़वा’, आंध्र प्रदेश में उगादि (युगादि), कश्मीर में ‘नवरेह’ के नाम से नववर्ष मनाया जाता है।
- ऐतिहासिक दृष्टि से सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने इसी दिन शकों पर विजय प्राप्त की थी।
नवरात्र के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूप
दिन | देवी का नाम |
---|---|
पहला दिन | शैलपुत्री देवी |
दूसरा दिन | ब्रह्मचारिणी देवी |
तीसरा दिन | चन्द्रघंटा देवी |
चौथा दिन | कुष्माण्डा देवी |
पाँचवाँ दिन | स्कन्द माता |
छठा दिन | कात्यायनी देवी |
सातवाँ दिन | कालरात्रि देवी |
आठवाँ दिन | महागौरी देवी |
नौवाँ दिन | सिद्धिदात्री देवी |
अरुन्धति व्रत – चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा
- यह व्रत चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा से आरम्भ होता है और चैत्र शुक्ल तृतीया को समाप्त होता है।
गणगौर – चैत्र शुक्ल तृतीया
- गणगौर में ‘गण’ महादेव का व ‘गौर’ पार्वती का प्रतीक है।
- यह ‘सौभाग्य तृतीया’ के रूप में भी प्रसिद्ध है।
- यह सुहागिन स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय त्योहार है।
- अविवाहित युवतियाँ इस त्योहार के दौरान पन्द्रह दिन तक एक समय भोजन करती या व्रत रखती हैं। व्रत होलिका दहन से आरम्भ होकर चैत्र शुक्ल एकम् या कहीं-कहीं तृतीया तक चलता है।
- यह शिव व पार्वती के अखंड प्रेम का प्रतीक पर्व है।
- इस दिन गणगौर माता की सवारी निकाली जाती है। गणगौर का त्योहार राजस्थानी त्योहारों में सबसे अधिक गीतों वाला त्योहार हैं।
- जैसलमेर में गणगौर का त्योहार नहीं मनाया जाता केवल सवारी निकाली जाती है।
- कर्नल टॉड ने उदयपुर में मनाए जाने वाले गणगौर पर्व का बहुत रोचक वर्णन किया है।
- इस त्योहार की तुलना मिस्र के त्योहारों से की जाती है।
राजस्थान की प्रमुख गणगौर झाँकियाँ
गणगौर का प्रकार | स्थान |
---|---|
शाही गणगौर की सवारी | जयपुर |
केवल ईसर की (बिना गवर) गणगौर | बीकानेर |
केवल गवर की (बिना ईसर) गणगौर | जैसलमेर |
गुलाबी गणगौर | नाथद्वारा |
अशोकाष्टमी – चैत्र शुक्ल अष्टमी
- इस दिन अशोक के वृक्ष का पूजन किया जाता है।
रामनवमी – चैत्र शुक्ल नवमी
- भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है।
- महाकवि तुलसीदास ने भी इसी दिन ‘रामचरितमानस’ की रचना प्रारंभ की।
हनुमान जयंती – चैत्र पूर्णिमा
वैशाख माह के त्योहार
कृष्ण पक्ष
आखा तीज या अक्षय तृतीया – वैशाख शुक्ल तृतीया
- अबूझ सावा (पण्डित से बिना मुहूर्त निकलवाए विवाह सम्पन्न किया जा सकता है।)
- इस दिन को बीकानेर स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन किसान सात अनाजों की खेत में बुवाई करता है और अच्छी वर्षा की कामना करता है।
- इस तिथि को ‘सतुआखातीज, परशुराम जयंती एवं देव-पितृतारिणी पर्व’ भी मनाया जाता है।
- राजस्थान में सर्वाधिक बाल विवाह इसी दिन होते हैं।
शुक्ल पक्ष
बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा – वैशाख पूर्णिमा
- इस दिन पीपल पूजा का महत्त्व है।
- इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और निर्वाण हुआ था।
ज्येष्ठ माह के त्योहार
कृष्ण पक्ष
- वट सावित्री व्रत या बड़मावस ज्येष्ठ सब्जी
- यह सौभाग्यवती स्त्रियों का प्रमुख पर्व है।
- इस व्रत के अंतर्गत स्त्रियाँ वट वृक्ष की पूजा करती है।
- इस दिन वे सत्यवान सावित्री की कथा सुनती है।
- इसे ‘बड़ अमावस्या’ कहा जाता है।
शुक्ल पक्ष
गंगा दशहरा – ज्येष्ठ शुक्ल दशमी
निर्जला एकादशी – ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी
- सभी एकादशी में यह सर्वोत्तम हैं।
- इसका व्रत करने से अन्य सभी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है।
- इस दिन निर्जल रहकर व्रत किया जाता है।
आषाढ़ माह के त्योहार
कृष्ण पक्ष
योगिनी एकादशी – आषाढ़ कृष्ण एकादशी
- इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
शुक्ल पक्ष
देवशयनी एकादशी – आषाढ़ शुक्ल एकादशी
- इस दिन से चार महीनों तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में अनन्त शैय्या पर शयन करते हैं। इसलिए इस दिन से चार महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य विवाहादि सम्पन्न नहीं किए जाते हैं।
गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा
- इस दिन गुरु-पूजन की विशेष महत्ता है।
FAQs
Q1. राजस्थान में फाल्गुन माह का सबसे प्रमुख त्योहार कौन सा है?
उत्तर: फाल्गुन माह का सबसे प्रमुख त्योहार होली है। इसके अलावा महाशिवरात्रि और ढूँढ भी खास महत्व रखते हैं।
Q2. गणगौर का पर्व राजस्थान में कब मनाया जाता है?
उत्तर: गणगौर पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। इसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत रखकर धूमधाम से मनाती हैं।
Q3. राजस्थान में “आखा तीज” किस त्योहार को कहा जाता है?
उत्तर: “आखा तीज” वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया का ही दूसरा नाम है। इस दिन अबूझ सावा विवाह सम्पन्न होते हैं।
Q4. ज्येष्ठ माह में गंगा दशहरा का क्या महत्व है?
उत्तर: ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा, माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है।
Q5. आषाढ़ माह में कौन सा पर्व “चातुर्मास” की शुरुआत का प्रतीक है?
उत्तर: देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल एकादशी) से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इसे हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है।
Q6. गुरु पूर्णिमा का पर्व क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: आषाढ़ पूर्णिमा को मनाई जाने वाली गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास के सम्मान में मनाई जाती है। इस दिन शिष्यों द्वारा अपने गुरु की पूजा और आशीर्वाद लेने की परंपरा है।