भाद्रपद माह के प्रमुख त्योहार 2025 – कजली तीज, जन्माष्टमी, गोगा नवमी और अन्य उत्सव

भाद्रपद माह के प्रमुख त्योहार – एक नजर

हिंदू पंचांग में भाद्रपद माह का विशेष महत्व है। इस माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में अनेक पर्व, व्रत और मेले आयोजित होते हैं। ये त्योहार धार्मिक आस्था, लोक परंपराओं और सामाजिक मेलजोल का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं।

तिथि / पक्षत्योहारउपनाम / विशेषताप्रमुख स्थान / मेला
भाद्रपद कृष्ण तृतीयाकजली तीजसातुड़ी तीज, बड़ी तीज, भादूडी तीज, बूढ़ी तीजबूंदी (कजली तीज का मेला)
कृष्ण षष्ठीहल षष्ठीबलराम जन्मोत्सव, हल की पूजा
कृष्ण षष्ठीऊब छठचंदन षष्ठी व्रत, पति की लंबी आयु व सुयोग्य वर की कामना
कृष्ण अष्टमीश्रीकृष्ण जन्माष्टमीश्रीकृष्ण जन्मोत्सव, मध्यरात्रि पूजानाथद्वारा (राजसमंद)
कृष्ण अष्टमीजाम्भोजी जन्मोत्सवजाम्भोजी – पीपासर (नागौर)
कृष्ण अष्टमीनरहड़ पीर उर्ससूफी संत नरहड़ पीरनरहड़ (झुंझुनूं)
कृष्ण नवमीगोगा नवमीगोगाजी की पूजा, मिट्टी के घोड़े की स्थापनागोगामेड़ी (हनुमानगढ़)
कृष्ण द्वादशीबैल बारस (वत्स द्वादशी)गाय-बछड़े की पूजा, संतान की लंबी आयु
शुक्ल द्वितीयाबाबा री बीजरामदेवजी का मेलारामदेवरा (जैसलमेर)
शुक्ल तृतीयाहरतालिका तीजशंकर-पार्वती पूजा
शुक्ल चतुर्थीगणेश चतुर्थीचतरा चौथ, गणेशोत्सव प्रारंभमहाराष्ट्र व राजस्थान में विशेष
शुक्ल पंचमीऋषि पंचमीसप्तऋषि पूजा, गंगा स्नान
शुक्ल अष्टमीराधाष्टमीराधाजी जन्मोत्सवसलेमाबाद (अजमेर)
शुक्ल दशमीतेजा दशमीलोकदेवता तेजाजी निर्वाण दिवसखरनाल (नागौर)
शुक्ल दशमीविश्वकर्मा जयंतीशिल्पकारों का पर्व
शुक्ल एकादशीदेव झूलनी एकादशी (डोल ग्यारस)विष्णु वामन अवतार पूजा, देव प्रतिमाओं का जल स्नान
शुक्ल चतुर्दशीअनंत चतुर्दशीअनंत व्रत, गणेश विसर्जन
पूर्णिमा → आश्विन अमावस्याश्राद्ध पक्षपितरों की पूजा, ब्राह्मण भोज
पूर्णिमा → आश्विन अमावस्यासाँझीकुँवारी कन्याओं द्वारा साँझी पूजन

भाद्रपद कृष्ण पक्ष के त्योहार

1. कजली तीज (भाद्रपद कृष्ण तृतीया)

  • उपनाम – सातुड़ी तीज, बड़ी तीज, भादूडी तीज, बूढ़ी तीज, गौरी व्रत तीज
  • स्थान – बूँदी (राजस्थान)
  • महत्व – सुहागिन महिलाएँ अखंड सौभाग्य व मनोनुकूल वर की कामना करती हैं।
  • विशेषता – आकाश में छाई काली घटाओं के कारण इसका नाम “कजली तीज” पड़ा।

2. हल षष्ठी (भाद्रपद कृष्ण षष्ठी)

  • भगवान बलराम का जन्मोत्सव।
  • इस दिन हल की पूजा होती है।
  • गाय का दूध और दही का सेवन वर्जित।
  • पुत्रवती महिलाएँ व्रत करती हैं।

3. ऊब छठ (भाद्रपद कृष्ण षष्ठी)

  • अन्य नाम – चंदन षष्ठी व्रत।
  • विवाहित स्त्रियाँ पति की दीर्घायु और कन्याएँ अच्छे वर की कामना करती हैं।

4. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (भाद्रपद कृष्ण अष्टमी)

  • भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव।
  • विशेष आयोजन – नाथद्वारा (राजसमंद) में विशाल मेला।
  • रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म की झाँकियाँ और आरती।
  • इसी दिन जाम्भोजी का जन्म (पीपासर, नागौर) और नरहड़ पीर का उर्स (झुंझुनूं)।

5. गोगा नवमी (भाद्रपद कृष्ण नवमी)

  • लोकदेवता गोगाजी की पूजा।
  • विशेष मेला – हनुमानगढ़ के गोगामेड़ी।
  • प्रतीक – गोगाजी का मिट्टी का घोड़ा।

6. बैल बारस (भाद्रपद कृष्ण द्वादशी)

  • अन्य नाम – वत्स द्वादशी।
  • संतान की लंबी आयु के लिए व्रत।
  • गाय और बछड़े का पूजन।
  • गाय का दूध और दही का सेवन वर्जित।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष के त्योहार

7. बाबा री बीज (भाद्रपद शुक्ल द्वितीया)

  • इस दिन रामदेव जी का मेला आरंभ होता है।

8. हरतालिका तीज (भाद्रपद शुक्ल तृतीया)

  • महिलाएँ रेत से शिव-पार्वती बनाकर सजाती हैं।
  • शिव-पार्वती की विशेष पूजा।

9. गणेश चतुर्थी / चतरा चौथ (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी)

  • भगवान गणेश का जन्मोत्सव।
  • 10 दिन का उत्सव, अनंत चतुर्दशी तक चलता है।

10. ऋषि पंचमी (भाद्रपद शुक्ल पंचमी)

  • सप्तऋषियों का पूजन।
  • गंगा स्नान का विशेष महत्व।
  • पापों से मुक्ति हेतु व्रत।

11. राधाष्टमी (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी)

  • राधाजी का जन्मोत्सव।
  • प्रमुख मेला – सलेमाबाद (अजमेर)।

12. तेजा दशमी (भाद्रपद शुक्ल दशमी)

  • लोकदेवता तेजाजी का निर्वाण दिवस।
  • मेला – खरनाल (नागौर)।
  • इसी दिन विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जाती है।

13. देवझूलनी एकादशी (भाद्रपद शुक्ल एकादशी)

  • अन्य नाम – डोल ग्यारस, जलझूलनी एकादशी।
  • ठाकुरजी को जलाशय में शाही स्नान।
  • बेवाण यात्रा का आयोजन।

14. अनंत चतुर्दशी (भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी)

  • अनंत देव (विष्णु) की पूजा।
  • गणेश प्रतिमा का विसर्जन।
  • पांडवों की विजय का महत्व जुड़ा है।

15. श्राद्ध पक्ष (भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक)

  • पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु पिंडदान व तर्पण।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराना विशेष महत्व रखता है।

16. साँझी पर्व (भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक)

  • कुंवारी कन्याएँ 15 दिन तक विविध प्रकार की साँझी बनाकर पूजा करती हैं।

निष्कर्ष

भाद्रपद माह के ये पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि लोक संस्कृति और सामाजिक मेलजोल के भी प्रतीक हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में ये पर्व मेलों, झाँकियों और उत्सवों के रूप में हजारों सालों से मनाए जाते रहे हैं।

भाद्रपद माह के प्रमुख त्योहार – FAQ

Q1. भाद्रपद माह कब से शुरू होता है?
भाद्रपद माह श्रावण के बाद आता है और यह सामान्यतः अगस्त–सितंबर माह में पड़ता है।

Q2. भाद्रपद माह में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार आते हैं?
इस माह में गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, अनंत चतुर्दशी, राधाष्टमी, हरितालिका तीज, जन्माष्टमी आदि प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं।

Q3. भाद्रपद मास का सबसे बड़ा पर्व कौन सा है?
गणेश चतुर्थी और जन्माष्टमी को भाद्रपद माह के सबसे बड़े पर्व माना जाता है।

Q4. गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भक्त 10 दिनों तक गणपति बप्पा की स्थापना कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

Q5. अनंत चतुर्दशी का महत्व क्या है?
यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन अनंत सूत्र (पवित्र धागा) बांधने की परंपरा है।

Leave a Comment