महाराणा मोकल का इतिहास|History of Maharana Mokal

 महाराणा मोकल (1421–1433 ई.)

  • महाराणा मोकल के पिता का नाम लक्षसिंह था।
  • महाराणा मोकल की माता का नाम हंसाबाई था।
  • राणा मोकल के भाई का नाम चुंडा था।
  • राणा मोकल के मामा का नाम रणमल राठौड़ था।
महाराणा मोकल का इतिहास

मोकल के पिता महाराणा लाखा की मृत्यु के समय मोकल की आयु 12 वर्ष थी। 12 वर्ष की आयु में ही मोकल मेवाड़ के महाराणा बने। अपने पिता महाराणा लाखा के कहे अनुसार मोकल का बड़ा भाई चुंडा राज्य के सभी कार्य कुशलतापूर्वक कर रहा था।

महाराणा मोकल मेवाड़ का शासक तो बन गया लेकिन उसकी उम्र अभी कम थी। इसलिए मेवाड़ के सारे राज कार्य  चुंडा ही देखता था। इसी कारण मोकल की मां हंसाबाई कुंवर चुंडा को शक की नजर से देखती थी। इससे परेशान कुंवर चुंडा मेवाड़ छोड़कर मालवा/मांडू के सुल्तान होशंगशाह के पास चला गया और अपने भाई राघवदेव को मेवाड़ की रक्षा के लिए छोड़ गया।

रणमल राठौड़ का मेवाड़ राज्य के राजकार्य में हस्तक्षेप –

कुंवर चुंडा के मालवा चले जाने के बाद हंसाबाई ने अपने भाई रणमल राठौड़ को मारवाड़ से मेवाड़ मोकल के संरक्षक का कार्य करने के लिए बुलाया। रणमल राठौड़ ने धीरे धीरे मेवाड़ के राजकार्य में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। रणमल मेवाड़ की सत्ता पर कब्जा करने लगा। मेवाड़ राज्य के उच्च पदों सिसोदिया सरदारों को हटाकर मारवाड़ के राठौड़ सरदारों की नियुक्ति कर दी। इससे सिसोदिया सरदार रणमल राठौड़ से नाराज होने लगे। 


रणमल राठौड़ द्वारा मेवाड़ सरदार राघवदेव की हत्या–

एक दिन रणमल राठौड़ ने आवेश में आकर चुंडा के भाई मेवाड़ सरदार राघवदेव जैसे योग्य व्यक्ति की हत्या कर दी। क्योंकि रणमल राघवदेव को मेवाड़ में देखना नहीं चाहता था।

रामपुरा का युद्ध – 1428 ई. में महाराणा मोकल ने नागौर के शासक फिरोज खां को रामपुरा के युद्ध में हराया। इस युद्ध में फिरोज खां की सहायता करने गुजरात की सेना भी आई। फिरोज खां के साथ–साथ गुजरात की सेना को भी हार झेलनी पड़ी।

गुजरात के अहमदशाह का मेवाड़ पर आक्रमण –1433 ई. में गुजरात के शासक अहमदशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया। महाराणा मोकल जीलवाड़ा नामक स्थान पर आक्रमण को रोकने गया हुआ था। वहीं पर महपा पंवार के कहने पर चाचा और मेरा ने अवसर पाकर मोकल की हत्या कर दी।

महाराणा मोकल की दूसरी रानी कमलावती ने 1433 ई. में अहमदशाह के आक्रमण में मोकल की हत्या के बाद मात्र 500 सैनिकों के साथ मुस्लिम सेना का सामना किया। लेकिन मुस्लिम सेना के सामने ज्यादा देर टिक ना सकी, अंत में जलती हुई चिता में कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।


महाराणा मोकल की हत्या का कारण – एक बार महाराणा मोकल के साथ चाचा और मेरा भी जंगल में गए हुए थे। तब मोकल ने चाचा और मेरा से मजाक – मजाक किसी वृक्ष का नाम पूछ लिया। इस बात को चाचा और मेरा ने ताना समझ लिया। क्योंकि इन दोनों की मां एक खातीन थी। चाचा और मेरा मोकल से इस बात का बदला लेना चाहते थे। इसी कारण चाचा और मेरा ने महपा पंवार के साथ मिलकर मोकल की हत्या कर दी।


महाराणा मोकल की हत्या – महाराणा खेता (क्षेत्रसिंह) की उपपत्नी जो एक खातिन जाती की थी। इसी खातिन से दो पुत्र उत्पन्न हुए , चाचा और मेरा। महपा पंवार के साथ मिलकर चाचा और मेरा ने महाराणा मोकल की हत्या कर दी। महपा पंवार मोकल का ही दरबारी था।


मोकल मंदिर –  महाराणा मोकल ने 1428 ई. में समिधेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। समिधेश्वर मंदिर का निर्माण परमार वंशीय राजा भोज द्वारा करवाया गया। महाराणा मोकल द्वारा समिधेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाने के कारण इस मंदिर को मोकल मंदिर कहते हैं। मोकल मंदिर/समिधेश्वर मंदिर चितौड़गढ़ के दुर्ग में स्थित है।


  • महाराणा मोकल ने चितौड़गढ़  दुर्ग में स्थित एकलिंग मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
  • महाराणा मोकल ने अपने भाई बाघसिंह के नाम से नागदा में बाघेला तालाब बनवाया।
  • महाराणा मोकल के दरबार में मना, फना व विसल जैसे शिल्पी तथा योगेश्वर व विष्णु भट्ट जैसे विद्वान थे।




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