मेवाड़ का गुहिल वंश की उत्पत्ति और वंशावली
राजस्थान का इतिहास वीरता, बलिदान और स्वाभिमान की गौरवगाथाओं से भरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख स्थान मेवाड़ के गुहिल वंश (Guhil Dynasty of Mewar) को प्राप्त है। यह वही वंश है जिससे आगे चलकर सिसोदिया राजवंश निकला और जिसने महाराणा प्रताप जैसे अमर योद्धा दिए
गुहिल वंश की उत्पत्ति
गुहिल वंश की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न मत हैं, परंतु अधिकांश इतिहासकार और स्थानीय परम्पराएँ मानती हैं कि यह वंश अयोध्या के सूर्यवंशी इक्ष्वाकु वंश से निकला।
6वीं शताब्दी ईस्वी में गुहिल (गुहादित्य) नामक राजकुमार मेवाड़ क्षेत्र में आए और यहाँ शासन की नींव रखी।
“गुहिल” शब्द से ही आगे चलकर वंश का नाम गुहिल वंश पड़ा।
बप्पा रावल – स्वतंत्र मेवाड़ का आधार
गुहिल के उत्तराधिकारी बप्पा रावल (713 ई.) ने चित्तौड़गढ़ पर अधिकार कर स्वतंत्र मेवाड़ राज्य की स्थापना की।
उन्होंने अरब आक्रमणकारियों को हराकर मेवाड़ को सुरक्षित किया।
यहीं से गुहिल वंश इतिहास में मजबूत रूप से स्थापित हो गया।
सिसोदिया शाखा का उद्भव
1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया। उस समय के गुहिल शासक रतनसिंह वीरगति को प्राप्त हुए और रानी पद्मिनी व हजारों स्त्रियों ने जौहर किया।
इसके बाद गुहिल वंश की एक शाखा सिसोदिया वंश कहलाने लगी।
प्रथम शासक: हमीर सिंह (1326 ई.)
इस वंश ने आगे चलकर मेवाड़ की स्वतंत्रता को जीवित रखा।
गुहिल वंश / सिसोदिया वंश (566 ई. – 1947 ई.)
गुहिल वंश की वंशावली को मुख्य रूप से दो चरणों में बाँटा जाता है—
प्रारम्भिक गुहिल शासक (566 ई. – 1303 ई.) → चित्तौड़ पर शासन
सिसोदिया शाखा (1303 ई. के बाद) → उदयपुर राज्य की स्थापना
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q.1 गुहिल वंश का संस्थापक कौन था?
A. गुहिल वंश का संस्थापक गुहिल (गुहादित्य) था, जिसने 566 ई. में मेवाड़ में शासन की नींव रखी।
Q.2 बप्पा रावल किस वंश से सम्बन्धित थे?
A. बप्पा रावल मेवाड़ के गुहिल वंश से सम्बन्धित थे और इन्हें स्वतंत्र मेवाड़ का संस्थापक माना जाता है।
Q.3 सिसोदिया वंश की शुरुआत कब हुई?
A. 1303 ई. में चित्तौड़ पर खिलजी आक्रमण के बाद गुहिल वंश की शाखा सिसोदिया के नाम से जानी जाने लगी।
Q.4 गुहिल वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक कौन-कौन थे?
A. बप्पा रावल, खुमाण, लाखा गुहिल, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा और महाराणा प्रताप।
Q.5 गुहिल वंश का महत्व क्या है?
A. यह राजस्थान का प्राचीनतम क्षत्रिय वंश है जिसने विदेशी आक्रमणों का डटकर सामना किया और भारत को स्वतंत्रता व स्वाभिमान का संदेश दिया।