इस ब्लॉग में सांभर के चौहान वंश का इतिहास बताया गया है।
1. दुर्लभराज चौहान –
यह गुर्जर प्रतिहार शासक वत्सराज का सामंत था। वत्सराज व दुर्लभराज की संयुक्त सेना ने मिलकर बंगाल के शासक धर्मपाल को पराजित किया।
नोट:– दुर्लभराज के शासन काल में पहली बाहर अजमेर के आस पास मुस्लिमो का आक्रमण हुआ था।
2. गुवक प्रथम –
यह गुर्जर प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय का सामंत था। नागभट्ट द्वितीय ने गुवक प्रथम की “वीर” की उपाधि प्रदान की। नागभट्ट ने अपनी पुत्री ‘जाबली’ का विवाह गुवक से किया। जाबली नागभट्ट द्वितीय की पुत्री नही थी। बल्कि यह गोद ली हुई थी जो ऋषि जज्जक की पुत्री थी।
नोट:– सर्वप्रथम चौहान वंश की स्वतंत्र सता गुवक प्रथम ने स्थापित की। तथा गुवक प्रथम ने सीकर में हर्षनाथ मन्दिर का निर्माण प्रारंभ करवाया। और इस मंदिर को पूर्ण सिंहराज के शासनकाल में हुआ।
3. चंदनराज –
इनकी रानी का नाम आत्मप्रभा / रूद्राणी था। आत्मप्रभा योग साधना में निपूर्ण थी। आत्मप्रभा प्रतिदिन सांयकाल के समय पुष्कर झील के किनारे शिव प्रतिमा के सामने 1000 दीपक हर रोज प्रज्जवलित करती थी।
4. वाकपतिराज –
इन्होंने चौहान वंश में सर्वप्रथम उपाधि धारण की। इनकी उपाधि “बप्पराज” व “महाराज” थी। वाकपतिराज ने अपने जीवन काल में कुल 188 (108/180) युद्ध लड़े। इन युद्धों की जानकारी हमें जयानक कृत पृथ्वीराज विजय में मिलती हैं।
वाकपतिराज के दो पुत्र थे – सिंहराज व लक्ष्मण चौहान
5. सिंहराज चौहान –
इनकी उपाधि महाराजाधिराज थी। इन्होंने हर्षनाथ मन्दिर का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया। 960 ई. में सिंहराज के भाई लक्ष्मण चौहान ने नाडोल में चौहान वंश की दूसरी शाखा की स्थापना की।
6. विग्रहराज द्वितीय –
इन्होंने अहिलवाड़ा (गुजरात) के अपने समकालीन शासक मूलराज प्रथम पर आक्रमण कर पराजित किया। विग्रहराज द्वितीय ने भड़ौच (गुजरात) में आशापुरा माता का मंदिर बनवाया।
विग्रहराज द्वितीय को “खुररंजोधकर” के नाम से भी जाना जाता हैं।
7. गोविन्द तृतीय –
इन्होंने ने मुहम्मद गजनवी की सेना को मारवाड़ में आने से रोका तथा सांभर की रक्षा की। इसी कारण इन्हें ‘वैरीघट्ट’ अर्थात् इन्हें शत्रु सहारक के नाम से जाना गया।
8. पृथ्वीराज प्रथम –
इनकी उपाधि “परमभट्टारकमहाराजा धीराज” है। इन्होंने 700 चालुक्यो को मौत के घाट उतारा था। इन्हे तुर्को का विजेता कहा जाता हैं।
इनके पुत्र का नाम अजयराज चौहान हैं जिसने अजमेर में चौहान वंश की नीव रखी तथा गढ़ बिठली पहाड़ी पर दुर्ग बनाकर अजमेर की स्थापना की
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