राष्ट्रीय पंचांग: शक संवत्, विक्रम संवत्, हिन्दू माह, पूर्णिमा–अमावस्या के प्रमुख पर्व

राष्ट्रीय पंचांग: शक संवत्, विक्रम संवत्, हिन्दू माह, पूर्णिमा–अमावस्या के प्रमुख पर्व

राष्ट्रीय पंचांग का महत्व भारत का राष्ट्रीय पंचांग शक संवत् पर आधारित है, जिसे भारतीय संविधान ने आधिकारिक तौर पर 22 मार्च 1957 को स्वीकार किया था। ग्रिगोरियन कैलेण्डर का आधार भी शक संवत् ही रहा है, जिससे भारत की संस्कृति एवं अंतर्राष्ट्रीय मान्यताएं दोनों जुड़ी हुई हैं। शक संवत्: इतिहास और विशेषताएँ शक संवत् की … Read more

होली रंगों का त्यौहार परंपरा और विभिन्नताएं

होली रंगों का त्यौहार परंपरा और विभिन्नताएं

होली रंगों का त्यौहार और धार्मिक महत्व भारत में रंगों, खुशियों और उल्लास का त्योहार होली फाल्गुन पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल ऋतुओं के परिवर्तन और फसल कटाई का संकेत है, बल्कि यह सामाजिक मेलजोल, परस्पर प्रेम और उत्साह का भी प्रतीक है। खासकर राजस्थान जैसे सांस्कृतिक धरोहर वाले … Read more

राजस्थान की तीज – स्त्रियों का प्रिय उत्सव

राजस्थान की तीज – स्त्रियों का प्रिय उत्सव

राजस्थान की तीज और गणगौर का संबंध राजस्थान में एक कहावत प्रचलित है –“तीज त्यौहारा बावरी, ले डूबी गणगौर।”अर्थात्, त्यौहारों के चक्र की शुरुआत श्रावण माह की तीज से होती है और इसका समापन गणगौर से होता है। तीज का पर्व कब और कैसे मनाया जाता है? तीज का पर्व हर वर्ष श्रावण माह (जुलाई-अगस्त) … Read more

राजस्थान का गणगौर उत्सव

राजस्थान का गणगौर उत्सव

गणगौर उत्सव का परिचय गणगौर राजस्थान का एक प्रमुख पारंपरिक पर्व है। यह त्यौहार विशेष रूप से महिलाओं का पर्व माना जाता है और गौरी माता (पार्वती) एवं भगवान शिव की पूजा को समर्पित है। “गण” का अर्थ है भगवान शिव और “गौर” का अर्थ है गौरी माता। गणगौर कब और कैसे मनाया जाता है … Read more

सलूम्बर और कोठारिया

1857 की क्रांति में सलूम्बर और कोठारिया का योगदान

1857 की क्रांति में सलूम्बर और कोठारिया का योगदान आउवा (जोधपुर) के ठाकुर कुशालसिंह से प्रेरणा लेकर मेवाड़ के दो प्रमुख सामन्तों सलूम्बर के रावत केसरीसिंह और कोठारिया के रावत जोधसिंह, का 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में अपूर्व योगदान रहा है। यह सही है कि मारवाड़ के सामन्तों की भांति मेवाड़ के सामन्तों ने … Read more